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रिपोर्टर – शम्भू प्रसाद

रूद्रप्रयाग (केदारनाथ)- केदारनाथ धाम में भवनों की अनियमित तरीके से तोड़-फोड़ की कार्यवाही से केदारसभा में आक्रोश बना हुआ है. इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आगामी दस मई से शुरू होने वाली यात्रा का सम्पूर्ण बहिष्कार की चेतावनी दी है. बहिष्कार के तहत यात्रा मार्ग पर सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान, भवन, विश्राम गृह सभी बंद रखे जायेंगे.

दरअसल, केदारनाथ धाम में तीसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं. निर्माण के तहत पुराने भवनों को तोड़कर नये भवनों का निर्माण होना है, लेकिन यह कार्य तीर्थ पुरोहित समाज एवं हक-हकूक धारियों के राय-मशवरे के हो रहे हैं, जिस कारण केदारसभा में आक्रोश बना हुआ है. ऐसे में केदारसभा की बैठक में शासन-प्रशासन की इस कार्यवाही का विरोध किया गया. बैठक में केदार सभा के पदाधिकारियों ने कहा इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.बैठक के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे ज्ञापन में केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी एवं महामंत्री डॉ राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने कहा केदारनाथ धाम में शासन-प्रशासन द्वारा अनियोजित तरीके से भवनों के साथ तोड़-फोड़ की जा रही है. इस तोड़फोड़ का लगातार विरोध किया जा रहा है, बावजूद इसके बाद भी स्थानीय लोगों की अनुमति के बिना कार्यवाही जा रही है.

उन्होंने कहा केदारनाथ धाम में ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों द्वारा भवनों के आगे गड्डे बनाए जा रहे हैं, जिससे उनके भवनों को क्षति पहुंच रही है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा शासन-प्रशासन की इस तरह की कार्यवाही के चलते स्थानीय व्यापारी, होटल स्वामी 10 मई से केदारनाथ धाम में अपने प्रतिष्ठान, भवन एवं विश्रामगृह बंद रखेंगे. इस मौके पर तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती, संतोष त्रिवेदी सहित अन्य लोग मौजूद रहे.केदारनाथ में भू-स्वामियों के भवनों के आगे गड्डे बनाने को लेकर नाराज तीर्थपुरोहितों ने अधिकारियों के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी है. पुलिस अधीक्षक को अवगत कराते हुए तीर्थपुरोहितों ने कार्यवाही की मांग की है. केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने बताया केदारनाथ में तोड़-फोड़ किए जाने से स्थानीय व्यापारियों एवं तीर्थ पुरोहित समाज में खासा आक्रोश बना हुआ है.

उन्होंने कहा केदारनाथ में भूमिधरी का अधिकार मिलने के बावजूद शासन-प्रशासन अपनी मनमर्जी कर रहा है. वह जमीन कब्जे की नहीं है. जिस तरह से अधिकारी बिना नोटिस के कार्यवाही कर रहे हैं, उसको लेकर न्यायालय की शरण ली जाएगी. केदारनाथ के लिए 2013 में शासनादेश भी जारी हो गया था, फिर भी उन्हें अनावश्यक परेशान किया जा रहा है।