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रिपोर्टर – नरेंद्र रावत

भगवान श्री बद्री विशाल जी का प्रवेश द्वार और भगवान नृसिंह की पावन भूमि ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) में अवसर था छंदों के महारथी और उत्कृष्ट साहित्यकार भगत सिंह राणा हिमाद की दो पुस्तकों “हिम निर्झरिणी” और “वासंती हिमालय” के विमोचन का। कार्यक्रम हिन्दी साहित्य भारती श्री अरविन्द अध्ययन केंद्र जोशीमठ तथा कलम क्रान्ति संस्था गोपेश्वर के संयुक्त तत्वावधान में विद्या मन्दिर जोशीमठ के सभा कक्ष में आयोजित किया गया। साहित्य के इस मंच पर आसीन लखनऊ से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार गुरुदेव अमरनाथ अग्रवाल,श्री बद्रीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी उनियाल जी,वरिष्ठ रंगकर्मी और लोक संस्कृति कर्मी आचार्य कृष्णानंद नौटियाल जी,तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित उत्कृष्ट साहित्यकार शशि देवली जी,वेद वेदाङ्ग संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य अरविन्द पन्त जी,कुशल वक्ता,चिन्तक और दार्शनिक चरण सिंह केदारखण्डी जी,बी0एड0 विभाग के प्रोफ़ेसर कुलदीप नेगी जी सहित कई विद्वत जनों की उपस्थिति से इस कार्यक्रम की भव्यता का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।और उस पर महाविद्यालय गोपेश्वर में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष दर्शन नेगी जी का कुशल संचालन कार्यक्रम में चार चाँद लगा गया।कार्यक्रम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ आरम्भ हुआ।तत्पश्चात अतिथियों का बैज अलंकरण और शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया साथ ही इस दौरान एक अनूठी पहल हिमाद जी द्वारा की गई उन्होंने सभी अतिथियों को रिंगाल से बनी टोकरी में प्राकृतिक फूलों का गुलदस्ता भेंट किया।उसके बाद मधुर कण्ठ की धनी और कुशल रचनाकार अंशी कमल जी द्वारा सरस्वती वन्दना और स्वागत गान की कर्णप्रिय और भाव विभोर करने वाली प्रस्तुति दी गयी।और फिर ग्राम भँग्यूळ की महिलाओं द्वारा मांगल गीत प्रस्तुत कर अपनी लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत की गयी।फिर पुस्तक विमोचन की सुखद घड़ी आयी और सभी अतिथियों द्वारा दोनों पुस्तकों का भव्य विमोचन किया गया। कार्यक्रम में पैनखण्डा क्षेत्र के जाने-माने लोक गायक और भजन गायक आदरणीय रवि थपलियाल जी द्वारा लेखक परिचय,साहित्यिक यात्रा से सभी आगन्तुकों को अवगत कराया गया।

तत्पश्चात चरण सिंह केदारखण्डी जी द्वारा हिमाद सर जी की प्रथम पुस्तक “हिम निर्झरिणी” की बहुत ही उत्कृष्ट और सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की गयी हिमाद जी द्वारा अपनी दूसरी पुस्तक “वासंती हिमालय” की समीक्षा प्रसिद्ध रचनाकार नंदन राणा “नवल” की गयी अतिथियों द्वारा इस महान उपलब्धि के लिये हिमाद जी को बधाई एवम शुभकामनाएंँ और आशीर्वाद दिया गया।कार्यक्रम कई मायनों में भव्य और दिव्य था। जैसे फुलकण्डी,पहाड़ी व्यंजन रोटने और मंडुए के बिस्कुट,उत्कृष्ट शिल्प को प्रदर्शित करती श्री बद्रीनाथ जी के मन्दिर की काष्ठ निर्मित कृति। तत्पश्चात कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में अनुभवी और नवोदित रचनाकारों द्वारा काव्य पाठ की मनोरम प्रस्तुतियाँ दी गयीं। इस दौरान कार्यक्रम में प्रसिद्ध शशि देवली , साईनी उनियाल , संगीता बहुगुणा , सन्नू नेगी , संगीता बिष्ट कौमुदी, अंशी कमल , गीता मैंदुली , नंदन राणा नवल , दीपक सती , ज्योति बिष्ट सहित वरिष्ठ एवं नवोदित 24 रचनाकारों ने काव्य पाठ किया , इस अवसर पर 300 से अधिक लोग इस भव्य समारोह साक्षी बने तथा साथ ही सभी कवियों को स्मृति चिह्न भेंट करके सम्मानित किया गया।

निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि यह कार्य्रकम अविस्मरणीय था।आदरणीय भगत सिंह राणा हिमाद जी का सरल,विनम्र और आत्मीय व्यवहार जितना अनुकरणीय है उनकी रचनाएँ उतनी ही हृदय ग्राही हैं जो पाठकों के अन्तर्मन को स्पर्श करती हैं।आपकी रचनाओं में प्रकृति के सभी स्वरूपों के व्यापक दर्शन होते हैं। सभी अतिथियों नें पाठकों से निवेदन किया कि हिमाद जी की इन दोनों पुस्तकों को अवश्य पढ़ियेगा।जिनमें आपको निश्चित रूप से हिन्दी साहित्य के पुराने और नवीन दोनों रूपों के दर्शन होंगे।हिमाद जी की रचनाएँ छन्दों के महासागर में गोते के साथ छन्द मुक्त काव्य की रवानगी से आपको आनन्दित करेंगी।