रिपोर्टर – शंभू प्रसाद
उत्तराखंड की देवभूमि में गांव-गांव घर-घर देवालय तो हैं ही साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले धार्मिक पर्यटन से जुड़े हुए अनेक तीर्थ भी यहां हैं। जैसे हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, ऋषिकेश, बागेश्वर, जागेश्वर आदि। अत: धूपबत्ती की काफी मांग बनी रहती है। यहां पर धूपबत्ती आपूर्ति की जा रही है। यदि यहां पर भी कुटीर उद्योग के रूप में इसे अपनाया जाय तो इसकी प्रर्यापत बाजार संभावनायें है।
इसी को देखते हुए रूद्रप्रयाग के एक छोटे से गांव जलई, भीरी विकासखंड अगस्त्यमुनि तहसील ऊखीमठ के एक युवा ने अपनी पहचान बनाने के लिए धूपबत्ती बनाने का कारोबार शुरू किया है। ‘द धूपबत्ती बॉय’ भाष्कर सती बताते है कि काफी समय से बेरोजगारी के दौर से चलने के बाद और उनकी पत्नी के प्रोत्साहन के बाद उन्होंने स्वयं का रोजगार खोलने का सोचा लेकिन उनको कोई ऐसा काम समझ में नहीं आ रहा था जिसे वो पहले कर चुके हो या जानते हो लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने अपनी रिसर्च जारी रखी जिसके बाद उन्हें अपने घरेलू संसाधनों से धूपबत्ती बनाने का आइडिया मिला।
‘द अगरबत्ती बॉय’ भाष्कर सती बताते है की निम्न संसाधनों के साथ उन्होंने अपना प्रोजेक्ट शुरू किया उनके द्वारा बिना किसी के सहयोग से दिल्ली से मशीन मंगाई गई जिसके बाद उन्होंने अपने घरेलू उत्पाद जैसे गोबर, फूल और कुछ बाहरी मिश्रण मिलाकर धूपबत्ती तैयार की है जिसे उन्होंने मंगलम धूप भी नाम दिया है। सती कहते है कि आज के दौर में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है लेकिन युवाओं को स्वयं से आगे आना होगा अपना स्वरोजगार शुरू करना होगा जिससे वो सशक्त बन सके।