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देहरादून: उत्तराखंड में बिजली की मांग और आपूर्ति की खाई लगातार बढ़ रही है। बिजली आपूर्ति सुचारु रखने के लिए बाजार से बिजली की निरंतर खरीद आवश्यकता बन चुकी है। जिसका असर राजकोष पर भी पड़ रहा है। वहीं पर्यावरणीय बंदिशों के कारण उत्तराखंड के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हाथ बंधे हुए हैं। 25 हजार मेगावाट क्षमता होने के बाद भी प्रदेश मात्र 4200 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर पा रहा है।

प्रदेश की लगभग 2100 मेगावाट की 21 जलविद्युत परियोजनाओं पर अनिश्चितता की तलवार लटकी हुई है। इन परियोजनाओं को हरी झंडी मिलेगी अथवा नहीं, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट आगामी नवंबर माह में इन परियोजनाओं को लेकर सुनवाई करेगा।
प्रदेश में बिजली की मांग और आपूर्ति की खाई लगातार बढ़ रही है। हालत यह है कि बिजली आपूर्ति सुचारु रखने के लिए बाजार से बिजली की निरंतर खरीद आवश्यकता बन चुकी है। इससे प्रतिवर्ष राजकोष पर एक हजार करोड़ रुपये का भार पड़ रहा है।

पर्यावरणीय बंदिशों के कारण जरूरी क्षेत्रों में हाथ बंधे
परिणामस्वरूप प्रदेश के उपभोक्ताओं के बिजली के बिल में लगातार वृद्धि हो रही है। पर्यावरणीय बंदिशों के कारण उत्तराखंड को जिन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने हाथ बंधे लग रहे हैं, उनमें ऊर्जा क्षेत्र भी सम्मिलित है। 25 हजार मेगावाट क्षमता होने के बाद भी प्रदेश मात्र 4200 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर पा रहा है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय का कड़ा रवैया जलविद्युत क्षमता के दोहन में बड़ी बाधा बन चुका है। 2100 मेगावाट की ऐसी परियोजनाएं पूरा होने के लिए तरस गई हैं। विशेष यह है कि इन 21 जलविद्युत परियोजनाओं पर पर्यावरणीय कारण बड़ी बाधा नहीं हैं।

10 जलविद्युत परियोजनाओं पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय का कठोर रुख
सुप्रीम कोर्ट भी 1352.3 मेगावाट की जिन 10 जलविद्युत परियोजनाओं को हरी झंडी दिखा चुका है, उन्हें लेकर केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय का कठोर रुख बना हुआ है। यही स्थिति अन्य 11 जलविद्युत परियोजनाओं की भी है। 771.30 मेगावाट की इन परियोजनाओं को लेकर कोई विवाद नहीं है।

पर्यावरणीय दृष्टि से इन पर कोई अड़ंगा नहीं है, लेकिन जलशक्ति मंत्रालय ने इन परियोजनाओं पर सहमति नहीं दी है। परिणामस्वरूप इन परियोजनाएं पूर्ण नहीं हो पा रही हैं।

सीएम धामी परियोजनाओं को चालू करने का कर चुके हैं अनुरोध
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से भेंट कर इन परियोजनाओं को प्रारंभ करने की अनुमति देने का अनुरोध कर चुके हैं।

पीएमओ में इस संबंध में गत माह बैठक हो चुकी है। पीएमओ का रुख भी सकारात्मक रहा है, लेकिन जलशक्ति मंत्रालय से अनुमोदन मिलने की चुनौती बनी हुई है। अब प्रदेश सरकार की नजरें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिकी हैं।
इन 10 जलविद्युत परियोजनाओं को सुप्रीम कोर्ट से मिल चुकी है हरी झंडी

परियोजना क्षमता मेगावाट में
लाता तपोवन 171
कोटलीभेल1ए 195
तमकलता 190
अलकनंदा 300
कोटलीभेल1बी 320
भ्यूंडारगंग 24.3
खैरावगंगा 04
झालाकोटी 12.5
उर्गम-2 7.5
जेलम तमक 128

इन 11 जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर नहीं है कोई भी विवाद

परियोजना क्षमता मेगावाट में
बावला नंदप्रयाग 300
भिलंगना टू ए 24
देवसारी 252
नंदप्रयाग लंगासू 100
भिलंगना टू बी 24
मेलखेत 24.3
देवली 13
काली गंगा 05
कोटबूढ़ाकेदार 06
भिलंगना टू सी 21
सुवारी गाड 02