रिपोर्टर – नरेंद्र रावत
पेड़ों को काटने से पहले हमें काटे: ये शब्द निकले थे आज से 50 साल पहले जनपद चमोली के रेणी गांव की गौरा देवी के मुंह से जब ठेकेदारों की आपसी रंजिश से अवैध रूप से पहाड़ में जंगलों का कटान होता था। बात 22 मार्च 1974 की है जब हिमालय के जंगलों की रक्षा के लिए गौरा देवी समेत महिला मंगल दलों की महिलाएं पेड़ों पर चिपक गई थी तब से विश्व विख्यात चिपको आन्दोलन की शुरुवात हुई थी 50 साल बाद भी इस आंदोलन को याद करते हुए हर वर्ष दो दिवसीय स्वर्ण जयंती समारोह गौरा देवी पर्यावरण सामाजिक विकास समिति की ओर से ब्लॉक स्तर पर रवि ग्राम खेल मैदान जोशीमठ में आयोजित किया गया है।
जिसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को गौरा देवी द्वारा उल्लेखनीय पर्यावरण संरक्षण के संदेश को जन जन तक पहुंचाना है। इस मौके पर मशहूर पर्यावरणविद धन सिंह घरिया ने अवगत कराया कि पेनखंडा,नीति माना, सुकी, रेणी गावों की महिला मंगल दलों द्वारा चिपको आंदोलन को एक बड़ा रूप दिया गया है जिससे मातृशक्ति को अटूट बल मिल रहा है। दूसरी ओर प्रोफेसर नंदन सिंह रावत ने चिपको आंदोलन से संबधित इतिहास की जानकारी दी। गौरा देवी पर्यावरण सामाजिक विकास समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा व सचिव पुष्कर सिंह राणा ने कार्यक्रम में पर्यावरणविदो को सम्मानित कर आगे इस कार्यक्रम को और भी भव्य बनाने की बात कही। इस अवसर पर लक्ष्मण सिंह रावत ने बताया की इस कार्यक्रम से क्षेत्र की महिलाओ में सहभागिता बढ़ी है। इस दौरान महिला मंगल दलों द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर जागरूकता कार्यक्रमो की प्रस्तुति भी दी गई।
कार्यक्रम में विशेष सहयोग व प्रथम दिवस में बतौर मुख्य अतिथि मंगला माता हंस फाउंडेशन व विशिष्ट अतिथि अनुपमा चौहान जो की वर्तमान सीडीएस अनिल चौहान जी की पत्नी है शामिल रही। इस दौरान पूर्व कार्यकारी अधिकारी बीकेटीसी बी0डी0 सिंह जीतवाल व निदेशक बागवानी बोर्ड भारत सरकार वीरेंद्र सिंह जुयाल जी ने चिपको आन्दोलन को पहाड़ की मातृशक्ति का देश दुनिया को एक संदेश बताया। इस दौरान बॉलीबॉल की 12 जिले की टीमों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया इसके अलावा रस्सा कस्सी समेत तमाम तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।