रिपोर्टर – शम्भू प्रसाद
ऊखीमठ – संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में एक छोटे से गांव में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करने वाला बाबा साहेब ने इन परिस्थितियों के सामने हार नहीं मानी और उच्चतम शिक्षा हासिल करने का प्रयास जारी रखा। स्कूल-कॉलेज से लेकर नौकरी तक में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा।
उनके संघर्षपूर्ण जीवन और सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है। बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने कई बार मंच से ऐसे भाषण, या विचार व्यक्त किए जिससे प्रेरित होकर युवा जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं। उनके इन्ही विचारों और व्यक्तित्व को याद करते हुए ऊखीमठ में रविवार को डॉ. भीम राव अम्बेडकर की 133वी जयंती मनाई गई।
इस दौरान ब्लॉक सभागार ऊखीमठ में पीसीसी मेंबर आनंद सिंह रावत और जिला गुरिल्ला संघ अध्यक्ष बसंती रावत ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर फुल माला डाल कर उन्हें याद किया।इस दौरान आनन्द सिंह रावत ने कहा कि देश जब कुप्रथाओं के अंधकार से घिरा था, तब बाबा साहब रोशनी लाने का काम किए. उन्होंने दलितों की मुक्ति और सामाजिक समरसता के लिए जीवन भर काम किया. आज भी देश उनके पवित्र भावना के अनुरूप आगे बढ़ रहा है.
इस दौरान बसन्ती रावत ने बाबा साहब को भारत माता का महान सपूत, प्रकांड विद्वान, संविधान के शिल्पकार बताया. उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने देश को रास्ता दिखाने का काम किया. उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय योजना को बढ़ाने का काम किया. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को संविधान दिया. साथ ही उन्होंने बताया कि बाबा साहब जानते थे कि संविधान मात्र एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दस्तावेज है. जिसमें करोड़ों लोगों की आवश्यकताएं, परिवेदनाएं और हित सम्मिलित है।इस दौरान कार्यक्रम में चंद्रमोहन उखियाल, देवेंद्र प्रसाद, प्रदीप उखियाल सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।