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उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा की विधायक शैला रानी रावत की देहांत के बाद खाली हुई विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. प्रदेश में पूर्व में हुए दो उप चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस काफी आत्मविश्वास से भरी हुई है और इस उप चुनाव को भी जीत कर कांग्रेस अपना 2027 विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ करना चाहती है. जहां एक तरफ बीजेपी अपने कैबिनेट मंत्रियों को लगातार केदारनाथ विधानसभा में

जानता के बीच भेज रही है तो वहीo केदारनाथ सीट पर कांग्रेस भी अपनी नजर गड़ाए बैठी है. उसके लिए भी इस सीट को जीतना बेहद जरूरी है, इसलिए कांग्रेस भी इस सीट को जीतने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. इसके लिए कांग्रेस भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है. जल्द ही केदारनाथ में कांग्रेस के बड़े नेता जुटेंगे कांग्रेस की केदारनाथ बचाओ यात्रा इसकी बयानगी है। बता दें कि जहां कांग्रेस से एक तरफ पूर्व विधायक मनोज रावत और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत का नाम चल रहा था तो वही अब क्षेत्र के लोगों के बीच आलोक

बगवाड़ी का नाम भी आगे चल रहा है। *कौन है आलोक बगवाड़ी ?* केदार घाटी जन जन की यही पुकार अबकी बार घाटी का लाल माटी का लाल के स्लोगन से प्रख्यात आलोक बगवाड़ी ऊखीमठ ब्लॉक केदारनाथ विधानसभा से आते हैं। बगवाड़ी मुख्य रूप से देवली भणी ग्राम के मूल निवासी हैं उनकी शिक्षा दीक्षा प्राईमरी स्कूल रुद्रप्रयाग और माध्यमिक शिक्षा जी0आई0सी0 इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग से हुई साथी आलोक बगवाड़ी तीर्थ पुरोहित समाज से भी आते हैं जो कि केदारनाथ में पुरोहित भी हैं। 2014 से उपहार समिति के सदस्य भी रहे हैं और वर्तमान में कांग्रेस पार्टी से मनरेगा प्रकोष्ठ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। इनकी राजनैतिक समझ की अगर बात की जाए तो ग्रामीणों का कहना है कि आलोक बगवाड़ी कार्यक्रम में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं क्षेत्रीय कार्यों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं युवाओं के साथ भी हर समय दिखाई देते हैं और क्षेत्रीय समस्याओं को भी बार-बार उठते रहते हैं जैसे कुंड-गुप्तकाशी मोटर मार्ग का मुद्दा हो या फिर सोनप्रयाग-गौरीकुंड मोटर मार्ग हर समय आगे दिखाई देते हैं। आलोक बगवाड़ी एक सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं जो एक साफ छवि वाले जिनका आज तक कोई भी आपराधिक मामला नहीं है। किसी भी प्रकार के लाभ के पद पर नहीं है स्वयं के संसाधनों से हर समय सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। तो देखना अब बाकी यह रहेगा की कांग्रेस आलाकमान इस बार केदारनाथ से किस योद्धा को रण के उतरती है और कांग्रेस का झंडा थामने का मौका देती है।